Sunday, 12 March 2023

भारत के स्कूल, रोजगार की दशा और सुधार के तरिके



मैंने अपने भतीजे को स्कूल मे प्रवेश कराने के लिए बहुत सारे निजी स्कूलों में फीस की तलाश की तो वार्षिक शुल्क 40,000/- से लेकर ₹1,00,000 तक स्कूल प्रमुख ने बताए और यह फीस नर्सरी से लेकर पहली कक्षा तक लगभग सभी स्कूलों में इतनी ही बताई गई। आगे बच्चा जितनी बड़ी कक्षा में जायेगा, फीस और बढेगी। तब मुझे विचार आया कि 17 साल तक स्कूलों में इतनी फीस भरने के बाद भी नोकरी की कोई गारंटी नहीं है और बालक पूर्णतः योग्य हो जायेगा इसकी भी कोई गारंटी नहीं हैं। फिर वह विदेशों मे नौकरी तलाश करेगा और सफल रहा तो आपको छोड़ कर विदेश में जा बसेगा तो मुझे लगा कि यदि हर साल जितनी फीस ये स्कूल मांगते हैं,उतनी फीस के  किसी भी अच्छी कंपनी के म्यूच्यूअल फंड, FD या कोई अन्य स्कीम में हर वर्ष एक लाख के यूनिट खरीद लिए जाएं और अपने बच्चों को सरकारी विद्यालय में प्रवेश दिला दें। वहां पर भी योग्य शिक्षक होते हैं और विद्यार्थी वहां से भी श्रेष्ठ ज्ञान प्राप्त कर सकता हैं। हम काॅन्वेंट या दूसरे तड़क - भड़क शो वाले नामी गिरामी स्कूलों में इतनी फीस क्यों दें?
यदि यह फीस हर साल एक लाख रुपए म्यूचुअल फंड में जमा की जाएं तो 17 साल बाद उस बच्चे के लिए लगभग 2 करोड़ से अधिक की रकम जमा होगी और उसे कहीं नौकरी करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी।
बल्कि वह इतना सक्षम होगा कि अपना स्वयं का अच्छा बिजनेस या उद्योग स्थापित कर लोगों को नौकरी दे सकेगा।
आने वाले दिनों में बच्चों को तड़क- भड़क वाले काॅन्वेन्ट और बड़े स्कूलों में दाखिला के लिए माता- पिता होड़ शुरू करेंगे। प्रत्येक माता-पिता इस पर गंभीरता से विचार करें।
व्यवहारिक बनो।  
अपनी संतान को स्वावलंबी बनाओ।
किराया और ब्याज ये हर महिने कमाई के बहतरीन साधन है 

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