#आल्हा_ऊदल_जयंती_विशेष
#बलभद्र_तिवारी_सेनापति
👑कान्यकुब्ज योद्धा ब्राह्मण 👑??
#बलभद्र_तिवारी।।
महान योद्धा आल्हा ऊदल के सेनापति!!
आल्हा उदल के सेनापति बलभद्र तिवारी जो कान्यकुब्ज और कश्यप गोत्र के थे!!
कान्यकुब्ज ब्राह्मण का एक बड़ा भाग पुरोहित का कार्य नहीं करता था और इसी कुल में जन्म लिए बलभद्र तिवारी जन्म से ही उनकी कुंडली देखकर ज्योतिषियों ने कहा था इस बालक का लक्षण देखकर लगता नहीं की पुरोहितों का कार्य करेगा लेकिन यह बालक जरूर किसी रियासतों में ही रहेगा और उनकी भविष्यवाणी सही हुई और इन्होंने चंदेल वंश के राजा महोबा के रियासत में ही आल्हा उदल के ही साथ रहे और उनकी सेना का नेतृत्व किया और इनकी मित्रता आल्हा उदल से हुई और इनकी मित्रता काफी गहरी थी!! और यह पहली बार नहीं है इस तरह के इतिहास ऐसे उधारणों से भरा हुआ है ब्राह्मणों ने पुरोहित का कार्य छोड़कर शस्त्र धारण किया और इसी क्रम में जब पृथ्वीराज चौहान के काल का एक उदाहरण पृथ्वीराज चौहान और महोबा के चंदेल वंश के राजा के साथ आल्हा, ऊदल की आखिरी लड़ाई पृथ्वीराज चौहान से हुई हुई थी।
आल्हा ऊदल के साथ बलभद्र तिवारी ने चंदेल वंश के राजा के सेनापति के रूप में कार्यभार संभाला और इस युद्ध में उन्होंने आल्हा उदल के साथ कंधे से कंधे मिलाकर युद्ध लड़ा और इस युद्ध में जब उदल की मौत हुई यह देख कर बलभद्र तिवारी जी बहुत गुस्से में आ गए और वह पृथ्वीराज चौहान के सेना पर काल बनकर टूट पड़े और जब उन्होंने पृथ्वीराज चौहान की सेना पर हमला किया तो पृथ्वीराज चौहान के परम मित्र संजम भी महोबा की इसी लड़ाई में पृथ्वीराज चौहान की तरफ से उनकी सेना का नेतृत्व कर रहे थे बलभद्र तिवारी और संजम की भी भिड़ंत हुई और इस युद्ध में बलभद्र तिवारी ने पराक्रम दिखाते हुए पृथ्वीराज चौहान के परम मित्र संजम को मार गिराया जिससे कुछ देर के लिए पृथ्वीराज चौहान भी इनकी वीरता देखकर अचंभित हो गया और इस युद्ध का परिणाम जो भी हो लेकिन ब्राह्मणों ने सदा ही कर्तव्य का पालन किया है और जिसका नमक खाया है उसका कर्ज़ उतार दिया है !! इस तरह के अनेक उदाहरण है बलभद्र तिवारी जैसे योद्धा ब्राह्मणों के वंशज ....कान्यकुब्ज की.....अयाचक ब्राह्मण शाखा बन गए।।
( कान्यकुब्ज अयाचक ब्राह्मण )
#जय_श्री_हरि_परशुराम ! #जय_श्री_दत्तात्रेय_भगवान!
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