डकैतो के गुरू #रामआसरे_तिवारी (फक्कड) ✨
ब्राह्मण ने जब जब हथियार उठाए है लोगो के दिल दहलाए है 💪
बीस साल तक चंबल के बीहड़ों में आतंक का पर्याय रहे कुख्यात डकैत रामआसरे तिवारी उर्फ फक्कड़़ सलाखों से बाहर आकर समाज की मुख्यधारा में आने की संभावना क्षीण होती जा रही है। 2003 में गिरोह के मुख्य सदस्यों के साथ मध्यप्रदेश के रावतपुराधाम में आत्म समर्पण करने के बाद से ही फक्कड़ जेल में हैं। गवाहों के कोर्ट में हाजिर नहीं होने या फिर मुकरने की वजह से दुर्र्दात डकैत मुकदमों में धड़ाधड़ बरी हो रहा था लेकिन सिरसा कलार थाना क्षेत्र के ग्राम गिगौरा में सत्रह साल पहले उसके द्वारा किए गए पिता - पुत्र के अपहरण के मामले में वादी ने गवाही देने का साहस किया। जिसके चलते विशेष सत्र न्यायालय ने रामआसरे कुसुमा नाइन और गिरोह के एक सदस्य को उम्रकैद की सजा सुना दी है।
डाकू से साधू का चोला ओढ़ने वाला यह डकैत गुनाहों की सजा तय होने से विचलित है। खौफ उसके चेहरे पर साफ झलकता है। रामआसरे तिवारी तिवारी उर्फ फक्कड़ ने 1982 में गिरोह गठित किया। करीब 22 साल उसने बीहड़ में समानांतर सरकार चलाई। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान तीन-तीन राज्यों की पुलिस उसकी घेराबंदी में लगी रही। करोड़ों रुपये गिरोह को नेस्तनाबूत करने की योजना में खर्च हो गए लेकिन पुलिस उसकी परछाई तक नहीं छू पाई। उम्र के आखिरी पड़ाव में रामआसरे उर्फ फक्कड़ ने हथियार डालने का निर्णय लिया। चूंकि मध्य प्रदेश में उसके खिलाफ कम मुकदमे दर्ज थे लिहाजा उसकी गिरफ्तारी का श्रेय लेने के लिए मध्यप्रदेश पुलिस के आला अधिकारियों से उसका गुप्त समझौता हुआ। परिवार वालों के शस्त्र लाइसेंस, सामान्य कैदियों से अलग सहूलियतें और मंदिर में रखने जैसी तमाम शर्र्ते पूरी करने का भरोसा मिलने के बाद वर्ष 2003 में रामआसरे उर्फ फक्कड़़, कुसुमा नाइन समेत गिरोह के छह सदस्यों ने रावतपुरा धाम में मध्य प्रदेश पुलिस के अधिकारियों के समक्ष समर्पण कर दिया। परंतु उसके गुनाहों की फेहरिस्त में अपहरण, हत्या, पुलिस मुठभेड़, गैंगस्टर के 103 मुकदमे दर्ज थे। 90 मुकदमे कुसुमा नाइन के खिलाफ दर्ज हैं। ज्यादातर मुकदमे जालौन, इटावा, औरैया, कानपुर देहात और आगरा जनपद में दर्ज होने के कारण रामआसरे और कुसुमा नाइन को ग्वालियर से उरई जेल में स्थानांतरित कर दिया गया। इसके साथ ही वे सभी सहूलियतें काट दी
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