Tuesday, 2 June 2020
Brahmin Pandit Don
Brahmins Pandits Sena ( Ranveer Sena )
ब्राह्मणों का गैर ब्राह्मण साम्राज्य निर्माणों में योगदान
Monday, 1 June 2020
Father of all Gangster Don Sharpshooter Badmash Most wanted Criminal One and Only Brahmin barmeshwar Singh Bhumihar ( A True Kissan Farmer and a warrior Pandit )
रणवीर सेना - भारत का उच्च जातीय संगठन हैं, जिसका मुख्य कार्य-क्षेत्र बिहार है। यह कोई आतंकवादी संगठन नहीं ब्लकि मीलिशिया है, क्योंकि यह मुख्यतः जाति आधारित भूमिहार ब्राह्मण संग़ठन है और इसका मुख्य उद्देश्य सभी प्रकार के किसानों के जमीनों की रक्षा करना है। जिन जमीनों पर नक्सलियों द्वारा अवैध कब्जा कर लिया जाता है और सवर्ण किसानों का सामुहिक नरसंहार कर दिया जाता रहा है।
रणवीर सेना की स्थापना 1994 में मध्य बिहार के भोजपुर जिले के गांव बेलाऊर में हुई। दरअसल जिले के किसान भाकपा माले (लिबरेशन) नामक नक्सली संगठन के अत्याचारों से परेशान थे और किसी विकल्प की तलाश में थे। ऐसे किसानों ने सामाजिक कार्यकर्ताओं की पहल पर छोटी-छोटी बैठकों के जरिये संगठन की रूपरेखा तैयार की। बेलाऊर के मध्य विद्यालय प्रांगण में एक बड़ी किसान रैली कर रणवीर किसान महसंघ के गठन का ऐलान किया गया। तब खोपिरा के पूर्व मुखिया बरमेश्वर सिंह, बरतियर के कांग्रेसी नेता जनार्दन राय, एकवारी के भोला सिंह, तीर्थकौल के प्रोफेसर देवेन्द्र सिंह, भटौली के गुप्तेश्वर सिंह, बेलाउर के वकील चौधरी, धनछूहां के कांग्रेसी नेता डॉ. कमलाकांत शर्मा और खण्डौल के मुखिया अवधेश कुमार सिंह ने प्रमुख भूमिका निभाई। इन लोगों ने गांव-गांव जाकर किसानों को माले के अत्याचारों के खिलाफ उठ खड़े होने के लिए प्रेरित किया। आरंभ में इनके साथ लाईसेंसी हथियार वाले लोग हीं जुटे। फिर अवैध हथियारों का जखीरा भी जमा होने लगा। भोजपुर में वैसे किसान आगे थे जो नक्सली की आर्थिक नाकेबंदी झेल रहे थे। जिस समय रणवीर किसान संघ बना उस वक्त भोजपुर के कई गांवो में भाकपा माले लिबरेशन ने मध्यम और लघु किसानों के खिलाफ आर्थिक नाकेबंदी लगा रखा था। करीब पांच हजार एकड़ जमीन परती पड़ी थी। खेती बारी पर रोक लगा दी गयी थी और मजदूरों को खेतों में काम करने से जबरन रोक दिया जाता था। कई गांवों में फसलें जलायी जा रही थीं और किसानों को शादी-व्याह जैसे समारोह आयोजित करने में दिक्कतें आ रही थीं । इन परिस्थितियों ने किसानों को एकजुट होकर प्रतिकार करने के लिए माहौल तैयार किया। रणवीर सेना के गठन की ये जमीनी हकीकत है
भोजपुर में संगठन बनने के बाद पहला नरसंहार हुआ सरथुआं गांव में, जहां एक साथ पांच मुसहर जाति के लोगों की हत्या कर दी गयी। बाद में तो नरसंहारों का सिलसिला ही चल पड़ा। बिहार सरकार ने सवर्णों की इस किसान सेना को तत्काल प्रतिबंधित कर दिया। लेकिन हिंसक गतिविधियां जारी रहीं । प्रतिबंध के बाद रणवीर संग्राम समिति के नाम से इसका हथियारबंद दस्ता विचरण करने लगा। दरअसल भाकपा माले ही इस संगठन को रणवीर सेना का नाम दे दिया। और इसे सवर्ण सामंतों की बर्बर सेना कहा जाने लगा। एक तरफ भाकपा माले का हत्यारा दस्ता खून बहाता रहा तो प्रतिशोध में रणवीर सेना के लड़ाके भी खून की होली खेलते रहे। करीब पांच साल तक चली हिंसा-प्रतिहिंसा की लड़ाई के बाद घीरे-घीरे शांति लौटी। लेकिन इस बीच मध्य बिहार के जहानाबाद, अरवल, गया औरंगाबाद, रोहतास, बक्सर और कैमूर जिलों में रणवीर सेना ने प्रभाव बढ़ा लिया। बाद के दिनों में राष्ट्रवादी किसान महासंघ नामक संगठन का निर्माण किया गया। महासंघ ने आरा के रमना मैदान में कई रैलियां की और कुछ गांवों में भी बड़े-बड़े सार्वजनिक कार्यक्रम हुए। जगदीशपुर के इचरी निवासी राजपूत जाति के किसान रंगबहादुर सिंह को इसका पहला अध्यक्ष बनाया गया। आरा लोकसभा सीट से रंगबहादुर सिंह ने चुनाव भी लड़ा और एक लाख के आसपास वोट पाया। रणवीर सेना के संस्थापक सुप्रीमो बरमेश्वर सिंह उर्फ मुखियाजी पटना में नाटकीय तरीके से पकड़ लिये गये। पकड़े जाने के बाद वे आरा जेल में रहे। जेल में रहते हुए उन्होंने भी लोकसभा का चुनाव लड़ा और डेड़ लाख वोट लाकर अपनी ताकत का एहसास कराया। आज की तारीख में रणवीर सेना की गतिविधियां बंद सी हो गयी हैं। इसके कई कैडर या तो मारे गये या फिर जेलों में बंद हैं। सुप्रीमो बरमेश्वर मुखिया की साल 1 जून 2012 को कुछ कुख्यात अपराधियों ने हत्या कर दी।
ब्रहमेश्वर सिंह उर्फ बरमेसर मुखिया बिहार की जातिगत लड़ाईयों के इतिहास में एक जाना माना नाम है.
भोजपुर ज़िले के खोपिरा गांव के रहने वाले मुखिया ऊंची जाति के ऐेसे व्यक्ति थे जिन्हें बड़े पैमाने पर निजी सेना का गठन करने वाले के रुप में जाना जाता है.
बिहार में नक्सली संगठनों और बडे़ किसानों के बीच खूनी लड़ाई के दौर में एक वक्त वो आया जब बड़े किसानों ने मुखिया के नेतृत्व में अपनी एक सेना बनाई थी.
सितंबर 1994 में बरमेसर मुखिया के नेतृत्व में जो सगंठन बना उसे रणवीर सेना का नाम दिया गया.
उस समय इस संगठन को भूमिहार ब्राह्मण किसानों की निजी सेना कहा जाता था.
इस सेना की खूनी भिड़ंत अक्सर नक्सली संगठनों से हुआ करती थी.
बाद में खून खराबा इतना बढ़ा कि राज्य सरकार ने इसे प्रतिबंधित कर दिया था.
नब्बे के दशक में रणवीर सेना और नक्सली संगठनों ने एक दूसरे के ख़िलाफ़ की बड़ी कार्रवाईयां भी कीं
सबसे बड़ा लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार एक दिसंबर 1997 को हुआ था जिसमें 58 दलित मारे गए थे.
इस घटना ने राष्ट्रीय स्तर पर बिहार की जातिगत समस्या को उजागर कर दिया था. इस घटना में भी मुखिया को मुख्य अभियुक्त माना गया था.
ये नरसंहार 37 ऊंची जातियों की हत्या से जुड़ा था जिसे बाड़ा नरसंहार कहा जाता है. बाड़ा में नक्सली संगठनों ने ऊंची जाति के 37 लोगों को मारा था जिसके जवाब में बाथे नरसंहार को अंजाम दिया गया.
इसके अलावा मुखिया बथानी टोला नरसंहार में अभियुक्त थे जिसमें उन्हें गिरफ्तार किया गया 29 अगस्त 2002 को पटना के एक्सीबिजन रोड से. उन पर पांच लाख का ईनाम था और वो जेल में नौ साल रहे.
बथानी टोला मामले में सुनवाई के दौरान पुलिस ने कहा कि मुखिया फरार हैं जबकि मुखिया उस समय जेल में थे. इस मामले में मुखिया को फरार घोषित किए जाने के कारण सज़ा नहीं हुई और वो आठ जुलाई 2011 को रिहा हुए.
बाद में बथानी टोला मामले में उन्हें हाई कोर्ट से जमानत मिल गई थी.
277 लोगों की हत्या से संबंधित 22 अलग अलग आपराधिक मामलों (नरसंहार) में इन्हें अभियुक्त माना जाता थ. इनमें से 16 मामलों में उन्हें साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया था. बाकी छह मामलों में ये जमानत पर थे.
जब वो जेल से छूटे तो उन्होंने 5 मई 2012 को अखिल भारतीय राष्ट्रवादी किसान संगठन के नाम से संस्था बनाई और कहते थे कि वो किसानों के हित की लड़ाई लड़ते रहेंगे.
जब मुखिया आरा में जेल में बंद थे तो इन्होंने बीबीसी से इंटरव्यू में कहा था कि किसानों पर हो रहे अत्याचार की लगातार अनदेखी हो रही है.
मुखिया का कहना था कि उन्होंने किसानों को बचाने के लिए संगठन बनाया था लेकिन सरकार ने उन्हें निजी सेना चलाने वाला कहकर और उग्रवादी घोषित कर के प्रताड़ित किया है.
उनके अनुसार किसानों को नक्सली संगठनों के हथियारों का सामना करना पड़ रहा था.
Sunday, 31 May 2020
Brahmin Pandit King Raja Samrat Pushpmitra Sungh ( पुष्पमित्र शुंग )
Saturday, 30 May 2020
Deepak Parashar Royal Pandit
मै दीपक पराशर रोयल पंडित (सम्राट हेम चंद्र विक्रमादित्य (1501–1556) का वंसज) एक कट्टर पंडित हू और मरने और मारने के लिए तेयार रहता हू. ! मुझे गर्व है की मै उस जाती में जन्मा हु जिसमे अश्वत्थामा, राजा बाली , व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम, मार्कंडेय, राजा धीर, राजा पुरुस, रानी लक्ष्मीबाई, भगवन बुद्ध, राजा हरिश्चंदर, राजा रावन, सम्राट हेमू चन्द्र विक्रमादित्य, राजा बीरबल, चकरवर्ती राजा भरत, राजगुरु , बतुकेश्वार दत्त, सम्राट हेम चंद्र विक्रमादित्य (1501–1556), मंगल पाण्डेय, नानाविनायक दामोदर सावरकर , साहिब पेशवा रानी लक्ष्मीबाई ऑफ़ झाँसी, तात्या टोपे, चन्द्रशेकर आजाद, स्वामी सहजानंद सरस्वती, बालगंगाधर तिलक, राजगुरु, रामप्रसाद बिस्मिल, गोपाल कृष्ण गोखले, सर्वपल्ली राधाकृष्णन, चाणक्य, गोस्वामी तुलसीदास, सुरदस, रामदास, रबिन्द्रनाथ तागोरे, रामधारी सिंह 'दिनकर हजारीप्रसाद द्विवेदी, सुमित्रानंदन पन्त, रामवृक्ष बेनीपुरी, मनोहर श्याम जोशी, सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली, दिलीप बलवंत वेंगसरकार, अजित वाडेकर, श्रीनिवासन वेंकत्रघवन, इरापल्ली आनंदरावस प्रसन्ना, बगावत सुब्रमनिया चंद्रशेखर, गुंडप्पा विश्वनाथ, लाक्स्मन सिवारामाकृष्णन, चेतन शर्मा, पर्थासर्ति शर्मा , Ravi शास्त्री, कृष्णामचारी सृक्कंथ, अंजलि, वन्गिपुराप्पू, वेंकट साईं लाक्स्मन, अनिल कुंबले, श्रीनाथ, Venkatesh Prasad, अजय शर्मा , दिनेश कार्तिक, मुरली कार्तिक, रोहित शर्मा, इशांत शर्मा, अमित मिश्र, योगेश्वेर दत्त (रेसेलेर), सुब्रमण्यम बद्रीनाथ, सुरेश रैना, मनीष पाण्डेय, सदगोप्पन रमेश, अजित अगरकर, हृषिकेश कानिटकर, सुनील जोशी, विश्वनाथन आनंद, कीर्ति अ ज़द, थ्यगाराजा, पुरंदरदस, व्यसतिर्था, राघवेन्द्र स्वामी, मुथुस्वामी दीक्षित, श्यामा सस्त्री, र.स.प. बलासुब्रह्मन्यम, विष्णुवर्धन, उषा उठुप, मिथुन चक्रबोर्टी, कविता क्रिस ह्नामुर्ति, हृषिकेश मुख़र्जी, हेमा मालिनी, बासु चत्तेर्जी, सुधीर फडके, बालगंधर्व, डॉ. वसंतराव देशपांडे, अशोक कुमार, किशोरे कुमार, मुकेश, श्रेया घोषाल, उदित नारायन, शांतनु मुख़र्जी, अभिजीत, कुमार सानु, अलका याग्निक, माधुरी दिक्सित, अमृता राव, शर्मीला तागोरे, अदिति गोवित्रिकर, गायत्री जोशी, सोनाली बेंद्रे, रानी मुख़र्जी, काजोल, विद्या बालन, सोनल कुलकर्णी, तानसेन, बैजू बावरा, रति अग्निहोत्री, अपूर्व अग्निहोत्री, सुनील दत्त, संजय दत्त, कमल हस्सन, मौसुमी चत्तेर्जी, चंकी पाण्डेय, रेखा, मिनाक्षी शेषाद्री, मणि रत्नम, भीमसेन जोशी, पंडित रवि शंकर, वीणा दोरेस्वमी इयेंगर, मंगलाम्पल्ली बालमुरली कृष्ण, पंडित जसराज, शिवकुमार शर्मा आदि लोग जन्मे है!
" ॐ अश्वत्थामा वलिर्व्यासो हनूमांश्च विभीषण: कृप: परशुरामश्च सप्तैते चिरजीविन: सप्तैतांस्स्मरे नित्यं मार्कंडेय तथास्टमम जीवेद वर्ष शतं साग्रमप मृत्यु विवर्जित : . मान्यता है की इस मंत्र का जाप करने से अकाल मृत्यु से रक्षा होती है. आठ नाम इस प्रकार हैं- मतलब ये 8ओ ब्रह्मिन अमर है हर एक युग में ये अमर है - अश्वत्थामा, राजा बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, मार्कंडेय, कृपाचार्य और परशुराम ये अमर हैं. मुख में वेद पीठ पर तरकस ,कर में कठिन कुठार विमल शाप और शर दोनों ही थे जिस महान ऋषि के संबल, बाबा परशुराम ने धरती को क्षत्रिय विहीन कर दिया था ये बात अटल सत्य है ...जय बाबा परशुराम ...
धाकड़ छोरा पंडित का ..
.या ते अड़ता नहीं , अड़ता है तो पीछे हटता नहीं ...
या तो मारता नहीं मारता है तो माफ़ करता नहीं
धाकड़ छोरा पंडित का ..
जब टाइम कभी किसी पे बुरा आव्गा ,
तो या पंडित ही मदद ने आव्गा ....
जब यो पंडित छोरा आव्गा तो योहे छावेगा
या धाकड़ छोरा पंडित का
देश में पहला भी पंडित क्रांति में आगे आये थे
तब चंदर शेखर आजाद और पंडित रामप्रसाद बिस्मिल जैसे शेर छाए थे ..
देश को बचने आया था और इब भी बचावेगा
धाकड़ छोरा पंडित का ..
पहला किसी ते कुछ बोले न फेर किसी ने कुछ तोले न
जब यो दीपक पराशर रोयल पंडित सम्राट हेम चन्द्र विक्रमादित्य का वंसज आव्गा
तो भगवान परशुराम की छवि दिखाव्गा
यो धाकड़ छोरा पंडित का
Deepak Parashar Royal Pandit-
+91-9416557837
सम्राट हेमचन्द्र विक्रमादित्य यही पूरा नाम है हेमू का. हेमू इतिहास के भुला दिए गए उन चुनिन्दा महानायकों में शामिल है जिन्होंने इतिहास का रुख पलट कर रख दिया था. हेमू ने बिलकुल अनजान से घर में जन्म लेकर, हिंदुस्तान के तख़्त पर राज़ किया. उसके अपार पराक्रम एवं लगातार अपराजित रहने की वजह से उसे विक्रमादित्य की उपाधि दी गयी.
हेमू का जन्म एक ब्राह्मण श्री राय पूरण दस के घर १५०१ में अलवर राजस्थान में हुआ, जो उस वक़्त पुरोहित (पूजा पाठ करने वाले) थे, किन्तु बाद में मुगलों के द्वारा पुरोहितो को परेशान करने की वजह से रेवारी (हरियाणा) में आ कर नमक का व्यवसाय करने लगे.
काफी कम उम्र से ही हेमू, शेर शाह सूरी के लश्कर को अनाज एवं पोटेशियम नाइट्रेट (गन पावडर हेतु) उपलब्ध करने के व्यवसाय में पिताजी के साथ हो लिए थे. सन १५४० में शेर शाह सूरी ने हुमायु को हरा कर काबुल लौट जाने को विवश कर दिया था. हेमू ने उसी वक़्त रेवारी में धातु से विभिन्न तरह के हथियार बनाने के काम की नीव राखी, जो आज भी रेवारी में ब्रास, कोंपर, स्टील के बर्तन के आदि बनाने के काम के रूप में जारी है.
शेर शाह सूरी की १५४५ में मृत्यु के पाश्चर इस्लाम शाह ने उसकी गद्दी संभाली, इस्लाम शाह ने हेमू की प्रशासनिक क्षमता को पहचाना और उसे व्यापार एवं वित्त संबधी कार्यो के लिए अपना सलाहकार नियुक्त किया. हेमू ने अपनी योग्यता को सिद्ध किया और इस्लाम शाह का विश्वासपात्र बन गया... इस्लाम शाह हेमू से हर मसले पर राय लेने लगा, हेमू के काम से खुश होकर उसे दरोगा-ए-चौकी (chief of intelligence) बना दिया गया.
१५४५ में इस्लाम शाह की मृत्यु के बाद उसके १२ साल के पुत्र फ़िरोज़ शाह को उसी के चाचा के पुत्र आदिल शाह सूरी ने मार कर गद्दी हथिया ली. आदिल ने हेमू को अपना वजीर नियुक्त किया. आदिल अय्याश और शराबी था... कुल मिला कर पूरी तरह अफगानी सेना का नेतृत्व हेमू के हाथ में आ गया था.
हेमू का सेना के भीतर जम के विरोध भी हुआ.. पर हेमू अपने सारे प्रतिद्वंदियो को एक एक कर हराता चला गया.
उस समय तक हेमू की अफगान सैनिक जिनमे से अधिकतर का जन्म भारत में ही हुआ था.. अपने आप को भारत का रहवासी मानने लग गए थे और वे मुग़ल शासको को विदेशी मानते थे, इसी वजह से हेमू हिन्दू एवं अफगान दोनों में काफी लोकप्रिय हो गया था.
हुमायु ने जब वापस हमला कर शेर शाह सूरी के भाई को परस्त किया तब हेमू बंगाल में था, कुछ समय बाद हुमायूँ की मृत्यु हो गई.. हेमू ने तब दिल्ली की तरफ रुख किया और रास्ते में बंगाल, बिहार उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश की कई रियासतों को फ़तेह किया. आगरा में मुगलों के सेना नायक इस्कंदर खान उज्बेग को जब पता चला की हेमू उनकी तरफ आ रहा है तो वह बिना युद्ध किये ही मैदान छोड़ कर भाग गया ,इसके बाद हेमू ने 22 युद्ध जीते और दिल्ली सल्तनत का सम्राट बना।
हेमू ने अपने जीवन काल में एक भी युद्ध नहीं हारा, पानीपत की लडाई में उसकी मृत्यु हुई जो उसका आखरी युद्ध था.
अक्टूबर ६, १५५६ में हेमू ने तरदी बेग खान (मुग़ल) को हारा कर दिल्ली पर विजय हासिल की. यही हेमू का राज्याभिषेक हुआ और उसे विक्रमादित्य की उपाधि से नवाजा गया.
लगभग ३ शताब्दियों के मुस्लिम शासन के बाद पहली बार (कम समय के लिए ही सही) कोई हिन्दू दिल्ली का राजा बना. भले ही हेमू का जन्म ब्राह्मण समाज में हुआ और उसको पालन पोषण भी पुरे धार्मिक तरीके से हुआ पर वह सभी धर्मो को समान मानता था, इसीलिए उसके सेना के अफगान अधिकारी उसकी पूरी इज्ज़त करते थे और इसलिए भी क्योकि वह एक कुशल सेना नायक साबित हो चूका था.
पानीपत के युद्ध से पहले अकबर के कई सेनापति उसे हेमू से युद्ध करने के लिए मना कर चुके थे, हलाकि बैरम खान जो अकबर का संरक्षक भी था, ने अकबर को दिल्ली पर नियंत्रण के लिए हेमू से युद्ध करने के लिए प्रेरित किया. पानीपत के युद्ध में भी हेमू की जीत निश्चित थी, किन्तु एक तीर उसकी आँख में लग जाने से, नेतृत्व की कमी की वजह से उसकी सेना का उत्साह कमजोर पड़ गया और उसे बंदी बना लिया गया... अकबर ने हेमू को मारने से मना कर दिया किन्तु बैरम खान ने उसका क़त्ल कर दिया.
आज कई लोग इतिहास के इस महान नायक को भुला चुके है, किन्तु मुगलों को कड़ी टक्कर देने की वजह से ही हिंदुस्तान कई विदेशी आक्रमणों से बचा रहा... आप खुद ही सोचिये.. बिना किसी राजनैतिक प्रष्ठभूमि के इतनी उचाईयो को छुने वाले का व्यक्तित्व कैसा रहा होगा.
आज भी हेमू की हवेली जर्जर हालत में रेवारी में है.... भारत ही शायद एक देश है जहा...सच्चे महानायकों की कोई कदर नहीं होती.
Bahmin Pandit King Samrat Raja The Great Dahir Pushkarna
ब्राह्मण
ब्राह्मण में ऐसा क्या है कि सारी दुनिया ब्राह्मण के पीछे पड़ी है। इसका उत्तर इस प्रकार है। रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदासजी न...
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jai Bagwan parshuram hum chalte hai to parvat b dhal jaate hai. . . . .hum machalte hai to tufaan machal jaate hai.. .....,,,,,,......,,...
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ADI GOUR BRAHMAN GOTRA & SASHAN 1. PARVRIDH VASISHT GOTRA: Tgunayat, Jhimiriya, Jharmriya, Vijaycharan, Gothwal, Haldolia, Nuliwal...
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Pandit’s Sirnames:- Mishra| Shukla| Awasthi| Dwivedi| Sharma| Tiwari| Trivedi| Dwivedi| Dubey| Nehru| Tikku| Pandey| Jha| Vats| Kaul| Manw...